मध्य प्रदेश के प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्व, famous tribal personalities of Madhya Pradesh in Hindi

 

मध्य प्रदेश के प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्व, famous tribal personalities of Madhya Pradesh in Hindi -:

टंट्या भील -:

·         टंट्या भील का जन्म सन् 1842 में पश्चिमी निमाड़ के विरी गांव में हुआ था।

·         इन्हें तांतिया मामा के नाम से भी जाना जाता है। भील जनजाति के लोग टंट्या भील की एक देवता की तरह पूजा करते हैं।

·         उन्हें गुरिल्ला युद्ध पद्धति में निपुणता हासिल थी।

·         टंट्या भील को 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का आदिवासी जननायक कहा जाता है।

·         अंग्रेज़ों ने उन्हें गिरफ्तार कर राजद्रोह का मुकदमा चलाया। जिसके तहत 4 दिसंबर 1889 को टंट्या भील को फांसी दे दी गई।

·         टंट्या भील को अंग्रेज इंडियन रोबिनहुड के नाम से बुलाते थे।

·         मध्य प्रदेश शासन द्वारा शिक्षा एवं खेल क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने वाले आदिवासी युवा को जननायक टंट्या भील सम्मान प्रदान किया जाता है। जिसके अंतर्गत 1 लाख रुपए की सम्मान निधि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।

 

 

वीरसा गोंड -:

·         वीरसा गोंड नर्मदा घाटी क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी आदिवासी नेता थे।

·         19 अगस्त 1942 को वीरसा गोंड और अन्य क्रान्तिकारियों ने मिलकर बैतूल जिले के घोड़ा डोंगरी शाहपुर क्षेत्र के रेलवे स्टेशन पर आंदोलन किया। इस दौरान पुलिस द्वारा बिना चेतावनी दिए गोली चलाने के कारण वीरसा गोंड की मृत्यु हो गई।

 

 

 

 

 

   शंकर साह -:

·         गढ़ मंडला के गोंड शासक शंकर शाह का जन्म सन् 1783 में हुआ था।

·         जबलपुर में 1857 की क्रांति का नेतृत्व शंकर शाह ने किया था।

·         अंग्रेज़ों ने अपने मुखबिरों और राजा शंकर शाह के गद्दारों के साथ मिलकर 14 सितंबर 1857 को राजा शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ शाह और अन्य क्रान्तिकारियों को गिरफ्तार कर लिया।

·         राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह पर देशद्रोह का मुकदमा दायर किया गया। 18 सितंबर 1857 को दोनों को तोप के मुंह पर बांध कर तोप चला दी गई।

जंगगढ़ सिंह श्याम -:

जंगगढ़ सिंह श्याम का जन्म डिंडोरी जिले के पाटनगढ़ में 1962 में हुआ था। वह गोंड जनजाति की उपजाति परधन गोंड से थे। जंगगढ़ सिंह श्याम एक गोंड चित्रकार थे। इन्होंने गोंड चित्रकला में सर्वप्रथम कागज और कैनवास का उपयोग किया। गोंड चित्रकला में हुए इस नए उपयोग को जंगगढ़ कलाम कहा गया। इसलिए इन्हें भारतीय कला के एक नए स्कूल जंगगढ़ कलाम का निर्माता माना जाता है। जंगगढ़ सिंह श्याम के चित्रों में गोंड देवताओं की प्रमुखता रही है। जंगगढ़ सिंह श्याम को 1986 में शिखर सम्मान से नवाजा गया। जंगगढ़ सिंह श्याम का देहांत 2001 में जापान में स्थित मिथिला संग्रहालय में हुआ। (famous tribal personalities of madhya pradesh in hindi)

संग्राम शाह -:

संग्राम शाह (1482-1532) गोंड वंश के 48वे शासक थे। संग्राम शाह का मूल नाम अमन दास था। 52 गढ़ों यानि किलों को जीतने के बाद इन्होंने खुद को संग्राम शाह की उपाधि दी।

दलपत शाह -:

दलपत शाह का जन्म गढ़ मंडला में हुआ था। इनके पिता संग्राम शाह थे। दलपत शाह गोंड वंश के शासक थे। दलपत शाह का विवाह राजकुमारी दुर्गावती से हुआ। जो कि एक वीरांगना थी।

रानी दुर्गावती -:

रानी दुर्गावती गोंड शासक दलपत शाह की पत्नी थीं। दलपत शाह की मृत्यु के बाद रानी दुर्गावती ने 16 साल (1548-1564) तक शासन किया। 24 जून 1564 को मुगलों से लड़ते हुए वीरांगना रानी दुर्गावती शहीद हो गईं।

धीर सिंह -:

रीवा राज्य में 1857 की क्रांति के प्रमुख नेता धीरसिंह बघेल ( धीरज सिंह ) का जन्म सन् 1820 में रीवा के कछिया टोला गांव में हुआ था।

झलकारी बाई -:

झलकारी बाई का जन्म कोरी समाज में 22 नवंबर 1830 को झांसी के पास स्थित भोजला गांव में हुआ था। झलकारी बाई महारानी लक्ष्मीबाई की सहायक थीं। ह्यूरोज ने पीर अली और दुल्हाजू की सहायता से झलकारी बाई को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन झलकारी बाई उनकी पकड़ से भाग निकलीं और 4 अप्रैल 1857 को स्वयं ही अपने पेट में बरछी घोंप कर अपने प्राण दे दिए। झलकारी बाई का समाधि स्थल ग्वालियर में स्थित है। (tribal personalities of madhya pradesh)

रानी अवंतीबाई -:

रानी अवंती बाई का जन्म लोधी वंश में 16 अगस्त 1831 को सिवनी जिले के मनकेड़ी गांव में हुआ था। मात्र 17 वर्ष की आयु में रानी अवंती बाई का विवाह रामगढ़ रियासत, मंडला के राजा विक्रमादित्य के साथ हुआ था। राजा विक्रमादित्य के निधन के बाद रानी अवंती बाई ने राज-भार संभाला। देवहारगढ़ के जंगल में रानी अवंती बाई और अंग्रेज़ो के बीच युद्ध हुआ। इसी युद्ध के दौरान 20 मार्च 1858 को रानी अवंती बाई ने अंग्रेज़ों के हाथ लगने के बजाए खुद को अपनी ही तलवार से शहीद कर लिया।

रानी अवंती बाई 1857 की क्रांति में शहीद होने वाली प्रथम महिला वीरांगना थीं। रानी अवंती बाई की समाधि डिंडोरी जिले के साहपुर के पास बालपुर गांव में स्थित है। (tribal personalities of madhya pradesh)

सरदार गंजन सिंह कोरकू -:

गंजन सिंह कोरकू का जन्म बैतूल जिले के घोड़ा डोंगरी के पास छतरपुर गांव में हुआ था। महात्मा गांधी जी के कहने पर 1930 में गंजन सिंह कोरकू ने घोड़ाडोंगरी जंगल सत्याग्रह में आदिवासियों का नेतृत्व किया। इस जंगल सत्याग्रह को दुरिया जंगल सत्याग्रह भी कहा जाता है। गंजन सिंह कोरकू का देहांत सन् 1963 में हुआ। (tribal personalities of madhya pradesh)

भीमा नायक -:

भीमा नायक भील जनजाति के एक प्रमुख नेता थे। इन्होंने बड़वानी जिले के सेंधवा क्षेत्र में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। भीमा नायक का जन्म सन् 1840 में मध्य प्रदेश के पश्चिमी निमाड़ रियासत के तहत आने वाले जिले बड़वानी के पंचमोहली गांव में हुआ था।

1857 के अंबापानी के युद्ध में भीमा नायक ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अंग्रेज़ों ने मुखबिरों के सहयोग से 2 अप्रैल 1868 को भीमा नायक को सतपुड़ा के जंगलों में से पकड़ लिया। और उन्हें कालापानी की सजा के लिए अंडमान निकोबार भेज दिया। भीमा नायक को 29 दिसंबर 1876 में अंडमान में ही फांसी दे दी गई।

 

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